Rajani katare

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चारपाई की कहानी

             "चारपाई की कहानी" बुंदेली भाषा

सुन लो भैया कहानी,
चारपाई की,
कमरा में धरी,
उठाए अँगना में धरी,

ऊं में बैठे, 
बतिया रहे सबरे,
ओर करत, 
मसकरी हंँसीठठ्ठा,

सुन लो भैया कहानी,
चारपाई की,
लदे फदे घर भर के,
सो ढीरी पर गयी,

ऊल झूल बनी,
तनी जूटन की मूंज,
बुलाओ "नकेल कसन" कों,
तन गयी खटिया,

आओ गर्मी को मौसम,
पवन के झौंके,
सों इठलाती फिरती,
धरा जात नीम की छैंया,

सुन लो भैया कहानी,
चारपाई की,
लगत जब संजा सकारे,
चौपाल गाँव की,

बैठे चारपाई पै पंच पाच,
पंचायत में हौवे,
गाँव भर की सुनवाई,
फैसला पंच को,

फैसला सुन चारपाई,
चरमरा ही जाती,
फरियादी की का बताएं,
"खाट खड़ी हो जाती" 

सुन लो भैया कहानी,
चारपाई की,
रुढ़िवादी रीति-रिवाज,
न रहत कोई चारो,
जकड़े परंपराओं से,

सुन लो भैया कहानी,
सुन लो भैया कहानी,
चारपाई की ।

    काव्य रचना-रजनी कटारे
         जबलपुर ( म.प्र.)

मुख चित्र--
गूगल से साभार

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1 Comments

Niraj Pandey

02-Nov-2021 04:17 PM

बहुत खूब

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